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टनल हादसा की पूरी जानकारी।
41 जिंदगियां, फौलादी जिगर, रेस्क्यू की जद्दोजहद और परिवार का धैर्य... पहाड़ के सीने में सुराख कर कैसे जीती जंग, जानें पूरी कहानी
एक सुरंग जिसमें 17 दिनों तक 41 जिंदगियां फंसी रहीं. उन्हें बचाने की जंग उसी सुरंग से छिड़ी. एक तरफ पहाड़ जैसा सुरंग का संकट था तो दूसरी तरफ जिंदगियां बचाने वालों का फौलादी हौसला. ये जंग बेहद मुश्किल थी.
बंद सुरंग में 41 धड़कनों ने फौलादी जिगर दिखाया है. रेस्क्यू में जुटी सैकड़ों दिलेरों की टीम ने दिन-रात एक कर दिया और 41 परिवारों की आंखों में दमकती उम्मीदों की रोशनी को ऊर्जा दी. 17 दिनों के अंदर उत्तरकाशी में रेस्क्यू टीम ने वो कर दिखाया, जो पर्वत विजय से कम नहीं है.
13 नवंबर को सिलक्यारा की सुरंग में जब 41 जिंदगियों के फंसने की खबर आई थी, तभी से राहत बचाव की कोशिश में जमीन-आसमान एक कर दी गई. जिस मशीन की दरकार हुई, वो देश के अलग-अलग हिस्सों से उठाकर लाई गईं. हेलिकॉप्टर लगे. एयरफोर्स के विमान लगे. रेल-रोड जहां से जो जरूरत हुई, वो सुविधा उत्तरकाशी पहुंची. एसडीआरएफ से लेकर एनडीआरएफ तक. बीआरओ से लेकर आईटीबीपी तक और वायु सेना से लेकर पुलिस प्रशासन तक सबने अपने मोर्चे संभाले.
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